Monday, July 4, 2011

पत्रकारों का कब्रगाह बनता पाक

एक आकड़े के मुताबिक पाकिस्तान में पत्रकार सलीम शहजाद की हत्या के साथ ही पिछले चौदह महीनों में मारे गए पत्रकारों की संख्या सत्रह हो गई है। आतंकवाद से प्रताड़ित पाकिस्तान दुनिया का एक ऐसा देश बनता जा रहा है जहां पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं। चालीस साल के शहजाद एशिया टाइम्स ऑनलाइन के ब्यूरो चीफ थे, और अपनी निर्भीक पत्रकारिता के लिए जाने जाते थे। पिछले रविवार को वे अपने घर से गायब हो गए थे और मंगलवार को उनका मृत शरीर प्राप्त किया गया। उनके शरीर पर हत्या के पहले चोटों के निशान पाए गये थे। माना जाता है कि उनकी हत्या करने से पहले उन्हें काफी यातना दी गई थी। इस्लामाबाद में रहकर दुनिया और अपने देश की कलम से सेवा करने वाले इस सिपाही की यातनापूर्ण हत्या में पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है। शहजाद ने मानाधिकार संस्था मून राइट्स ॉच को धमकी से भरे मेल की सूचना दी थी और बताया था कि भविष्य में उनकी जान को खतरा है।

गौरतलब है कि अपनी खोजी रिपोर्टिग के कारण शहजाद आईएसआई के निशाने पर आते रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर में जब उन्होंने अफगानी तालिबान के एक बड़े नेता की पाक में गिरफ्तारी की खबर दी थी, तब आईएसआई ने उन्हें धमकाया था। इसके अलावा उनकी रिपोर्ट अलकायदा का पाक नौसैनिक अड्डे पर हमले का कारण अलकायदा हितैषी नौसेना के अधिकारियों पर शिकंजा कसना है, दूसरा बड़ा कारण माना जा रहा है। इस रिपोर्ट ने पाक सेना में अलकायदा घुसपैठ को बड़े सिरे से उजागर किया था।

शहबाज के परिवार वालों का कहना है कि उनकी किसी से जाती दुश्मनी नहीं है लेकिन वे शायद इस बात पर नहीं गौर कर रहे है कि अपने निर्भीक रिपरेटिंग से शहबाज ने कितने दुश्मन बना रखे हैं। पाकिस्तान में इस तरह का कोई भी साहसिक काम खतरनाक होता है। कुछ ही समय पहले सलमान तासीर सहित दो नेताओं की ईशनिंदा कानून का रिोध करने पर हत्या कर दी गई थी।

शहबाज की हत्या करके पाक के कट्टरपंथियों ने पत्रकारिता आवाम को साफ संदेश देने का प्रयास किया है कि वे अपने विरोध में उठने वाली आवाज को दबाने का हुनर जानते है। पाकिस्तान एक ऐसी जगह बन गया है जहां आंतकी सेना से लेकर सरकार के बीच गहरी पैठ बना रखे हैं। उनके खिलाफ बोलना और लिखना मौत को आमंत्रण देना है। कट्टरपंथियों की इस कार्रवाई पर सरकार भी बेबस और लाचार नजर रही है।

पाक सरकार ने पत्रकारों की सुरक्षा से परोक्ष रूप से हाथ खींच लिए हैं। सैयद सलीम शहजाद के अपहरण और फिर हत्या के बाद सरकार ने पत्रकारों को अपने पास छोटे हथियार रखने की अनुमति देनेोला आदेश पारित कर दिया है। पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री रहमान मलिक ने बुधार कोजियो न्यूजज् से बातचीत में इस बात की जानकारी दी थी। शायद पाक सरकार ने बंदूक रखने की अनुमति देकर अपना काम पूरा समझ लिया है। उन्हें ये सबसे आसान रास्ता लगा। आने वाले दिनों में हम शायद कलम और कैमरे की ताकत से दुश्मन पैदा करने वाले पाक पत्रकारों अब कलम और कैमरे के साथ बंदूक भी रखते नजर आएंगे। क्योंकि सरकार उनकी हिफाजत करने में असमर्थ है। ऐसी स्थिति में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा कैसे होगी यह देखने वाली बात होगी। पाक पत्रकार बंदूक के साथ अपनी भूमिका कितने अच्छे से निभाएंगे, यह भी आने वाला वक्त बताएगा।

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने शहजाद के अपहरण तथा हत्या पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा कि सरकार दोषियों के खिलाफ कार्राई के लिए प्रतिबद्घ है। सरकार मीडिया की आजादी और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ाा देने में यकीन रखती है।

पाकिस्तान की जनता और दुनिया भर का मीडिया चाहता है कि पाक में मीडिया की आजादी हो और इस तरह की घटना दोबारा हो। लेकिन ऐसी स्थिति आए इसके लिए पाक सरकार को राष्ट्रपति के बयान पर खरा उतरना होगा।

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